ज़ुल्फ़ें भी सुना है कि संवारा नहीं करते,
हम उससे थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं,
जहाँ तक रास्माता मालूम था हमसफर चलते गए,
मैंने कहा, नहीं दिल में एक बेवफा की तस्वीर बसी है,
मैं धीरे-धीरे उनका दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ,
मंजिल की तलाश में खुद को अकेले चलना होगा,
उजालों में चिरागों की अहमियत नहीं होती।
महफ़िल में रह के भी रहे तन्हाइयों में हम,
तेरे इशारों पर मैं नाचूं क्या जादू ये तुम्हारा है,
चेहरा तेरा चाँद का टुकड़ा सारे जहाँ से प्यारा है।
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
जर्रे-जर्रे में वो है और कतरे-कतरे में shayari in hindi तुम।
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए।
मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।